देखने का सही नजरिया
पढ़ें kahaniya acchi acchi : एक बार एक लकड़हारा था । वह बहुत अच्छा था । वह हमेशा सब के बारे में अच्छा सोचता , वह सब के साथ हमेशा अच्छा व्यवहार करता लेकिन उसके साथ कोई अच्छा व्यवहार नहीं करता । उसको सदा बुराई मिलती ।

इस सबसे वह कई बार परेशान हो जाता । यही सोचता कि मैं सदा सबके साथ अच्छा व्यवहार करता हूं पर मेरे साथ कभी कोई अच्छा व्यवहार नहीं करता है क्या करूं ।
एक दिन वह अपनी समस्या लेकर एक महात्मा जी के पास गया और उनसे कहा कि महात्मा जी मैं सदैव सबके साथ अच्छा व्यवहार करता हूं पर मुझे फिर भी बुराई मिलती है । महात्मा जी ने उसे एक अंगूठी थी और बोले कि यह अंगूठी ले जाओ और इसे अलग-अलग व्यक्तियों को दिखाना और एक हफ्ते बाद वापस मेरे पास इसे लेकर आना ।
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लकड़हारा बुला कि “महात्मा जी मैं आपसे समस्या का समाधान मांग रहा हूं और आप मुझे अंगूठी दे रहे हैं मुझे यह नहीं चाहिए ।”
महात्मा जी ने उसे समझाया और कहा कि जो कहा है , वही करो तुम्हारी समस्या का समाधान मिल जाएगा ।
अब वह लकड़हारा अंगूठी को सबसे पहले एक परचूने के व्यापारी के पास ले गया और उसे अंगूठी दिखाई और बोला इसकी कीमत क्या है ? कृपया बताइए तो व्यापारी बोला ₹1000 दूंगा बताओ बेचोगे । लकड़हारे बोला नहीं बेचना नहीं है बस कीमत जाननी थी ।
अब वह इस अंगूठी को कपड़े के व्यापारी के पास ले गया और उससे भी वही बात कही । व्यापारी बोला मैं ₹10000 दूंगा लकड़हारा वहां से भी यह बोल कर चला गया कि बेचना नहीं है ।
अब वह सुनार के पास गया । सुनार बोला “अंगूठी तो कीमती है ₹100000 दूंगा बताओ बेचोगे ।” लकड़हारा बोला कि मैं इसे बेचना नहीं चाहता , बस कीमत जाननी थी ।
आप वह शहर के सबसे बड़े व्यापारी के पास गया और उसे वही अंगूठी दिखाई । वह व्यापारी बोला कि मैं अपना सब कुछ दे दूं तो भी इसकी कीमत नहीं दे पाऊंगा । इतना सुनकर वह लकड़हारा वहां से चला गया । वह बहुत आश्चर्यचकित था वह समझ ही नहीं पा रहा था कि यह क्या हो रहा है । उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था ।
अब 7 दिन बीत चुके थे वह फिर से महात्मा जी के पास गया उसने उन्हें अपनी सारी उलझन बताई।
महात्मा जी बोले कि इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है और ना ही इस अंगूठी का । यह केवल तुम्हारी समस्या नहीं है , अधिकतर लोगों के साथ यही होता है ।
सीख from kahaniya acchi acchi
दरअसल किसी भी चीज की कीमत हर व्यक्ति अपने सामर्थ्य और अपनी काबिलियत के हिसाब से लगाता है । यदि आप अच्छे हैं और सामने वाला व्यक्ति चालक व धोखेबाज है तो वह आपको भी अपने जैसा ही चालाक और धोखेबाज समझेगा । यदि कोई अच्छा है तो वह सामने वाले में भी अच्छाई ही ढूंढेगा । अर्थात जिसका नजरिया जैसा है वह उसी नजरिए से सामने वाले का आकलन करता है ।
इससे आपको अपने अंदर कमी नहीं ढूंढनी चाहिए । और ना ही अपना आत्मविश्वास खोना चाहिए । आप सबसे पहले खुद की नजर में सही होने चाहिए फिर सामने वाला तुम्हारे बारे में क्या सोचता है । यह उस पर ही छोड़ देना चाहिए । यही सदा खुश रहने का तरीका है । लकड़हारा अब स्वयं से संतुष्ट था ।

सदा खुश रहना चाहते हैं तो सबसे पहले अपना नजरिया बदलिए ।
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