Ek Tidde or Cheeti Ki Kahani | struggle of Ant

Ek Tidde or Cheeti Ki Kahani यहाँ प्रस्तुत है। यह बच्चों के लिए (story for kids) शानदार नैतिक कहानी है।  :

Ek Tidde or Cheeti Ki Kahani | story for kids

यह एक टिड्डे और एक चींटी की कहानी है।  एक समय की बात है। गर्मी के मौसम में एक चींटी बहुत मेहनत करते हुए अपने लिए अनाज इकठ्ठा कर रही थी। वह चींटी बहुत मेहनती थी।  प्रत्येक वर्ष वह बारिश के मौसम के आने से पहले ही अपनी जरूरत का अनाज इकठ्ठा कर लेती थी। 

वह सारा दिन मेहनत से अनाज इकठ्ठा करने में लगी रहती थी। इस बार भी प्रत्येक वर्ष की तरह चींटी अपने काम में जुटी थी। वह रोजाना अनाज के दाने  उठाकर अपने छोटे से बिल में जमा करती रहती थी। वहीं, पास में ही एक टिड्डा उसे देख देख कर उछल रहा था। अपनी पूरी मस्ती में वह नाच रहा था , गा रहा था।

चींटी बड़ी ही मेहनत के साथ अपने मुहं में अनाज दबाये बिल की तरफ जा रही थी, तभी टिड्डा चींटी को देखकर जोर जोर से हंसने लगा और बोला, बेचारी चींटी… इतनी मेहनत क्यों कर रही हो ? आओ मेरे साथ मजे करो । इस काम में कुछ नहीं रखा है  , आजाओ मिलकर मजे करेंगे। चींटी टिड्डे की बात को अनसुना करते हुए अपने काम में लगी रही।    वह अपने अनाज का एक-एक दाना अपने बिल में जमा करती गयी ।

परन्तु टिड्डा अपनी हरकतों से चींटी को परेशान करता रहा। वह बार बार चींटी से वही बात बोलता रहा की आओ मजे करते हैं।  कितना अच्छा मौसम है, इतनी प्यारी हवा चल रही। अच्छी और सुनहरी धूप है। क्यों इस खूबसूरत दिन को ख़राब  कर रही हो? बहुत देर तक टिड्डे की बकवास सुनने के बाद चींटी टिड्डा की हरकतों से परेशान हो गई।

वह टिड्डे को समझाते हुए बोली , अब कुछ ही दिनों बाद ठण्ड का मौसम आने वाला है । टांड के मौसम में खूब बर्फ गिरेगी। कहीं भी अनाज का एक दाना भी नहीं मिलेगा। अगर हमने आज काम नहीं किया तो हमे भूखे मरना पड़ेगा।  मेरी बात मनो , तुम भी अपने खाने का इंतजाम कर लो। परन्तु टिड्डे ने चींटी की बात नहीं मानी और सारे दिन मस्ती में ही गुजार दिए। 

धीरे-धीरे बारिश के मौसम के बाद कब सर्दी का मौसम आ गया टिड्डे को पता भी नहीं चला । कोहरे की चादर चारों तरफ फैली हुयी थी और बर्फबारी की वजह से सूरज के दर्शन भी मुश्किल हो रहे थे। अब टिड्डे को अहसास हो रहा था की उसने अपने खाने के लिए बिल्कुल भी अनाज इकठ्ठा नहीं किया था। अब टिड्डा भूख से तड़पने लगा।

टिड्डे के पास न तो भोजन था और न ही ठण्ड से बचने का कोई इंतजाम । तब उसे चींटी की याद आयी । वह चींटी के पास मदद मांगने पहुंचा। तब चींटी ने टिड्डे को समय और मेहनत  का महत्त्व समझाया और कहा की अगर तुम भी उन दिनों में मेहनत कर लेते तो आज तुम्हे ये दिन नहीं देखना पड़ता।  तब टिड्डे को अपनी गलती का एहसास हुआ । चींटी बहुत दयालु और समझदार थी।  उसने ठण्ड और भूख से बेहाल टिड्डे की मदद की। उसने टिड्डे को खाने के लिए कुछ अनाज दिया । चींटी ने उसकी कुछ घास और तिनके देकर उसका घर बनाने की सलाह भी दी ताकि वह ठण्ड से बच सके।  अब टिड्डे ने चींटी का धन्यवाद किया। 

एक टिड्डे और एक चींटी की कहानी से सीख : Moral of Ek Tidde or Cheeti Ki Kahani

हमें अपने हर काम को बड़ी ही मेहनत और लगन के साथ करना चाहिए। क्योंकि आज की मेहनत कर रंग जरूर लती है।  हमें सदैव अच्छे काम करने चाहिए क्योकि भविष्य में उसका फल हमें जरूर मिलता है।  एक अन्य सीख जो हमें इस Ek Tidde or Cheeti Ki Kahani कहानी से मिलती है की हमें सदैव मुश्किल में पड़े लोगो की मदद करनी चाहिए। इससे वे हमें अच्छी अच्छी दुआएं देते है, इससे ईश्वर सदैव हमारे साथ रहते हैं। 

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