सफलता की राह तक ले जाएगी ये कहानी । Short Motivational story in Hindi for students
अगर आप जीवन में सफल होना चाहते हैं , लेकिन सफल होने के लिए कोई सहारा ढूंढ रहे हैं , तो ये कहानी आपमें सफल कैरियर बनाने के लिए जोश भर देगी। आपको ये कहानी जरूर पढ़नी चाहिए।
तुलसीदास जी ने क्या खूब कहा है कि
पराधीन सुख सपनेहूं नाही
मतलब जो दूसरों के सहारे जीते हैं उन्हें सपने में भी सुख नहीं मिलता ।
Short Motivational story in Hindi for students
एक बार एक लड़का अपने परिवार के साथ एक गांव में रहता था । उसके पिता एक किसान थे और उनकी इच्छा थी कि उनका बेटा उनकी तरह ही एक किसान बने । लेकिन वह लड़का फौज में भर्ती होकर सिपाही बनना चाहता था । एक दिन उसने अपने पिता से कहा कि पिताजी मैं एक सिपाही बनना चाहता हूं तो आप मुझे उसके लिए ट्रेनिंग पर भेज दीजिए ।
उसके पिताजी अपने बेटे से बहुत प्यार करते थे । उन्होंने कहा कि ठीक है अगर तुम सिपाही बनने की ट्रेनिंग पर जाना चाहते हो , तो जा सकते हो मैं तुम्हें नहीं रोकूंगा । लेकिन तुम्हें उसके लिए तैयार होना पड़ेगा , जैसे कि तुम्हें तलवारबाजी बिल्कुल नहीं आती है ।
तुम्हें तलवारबाजी सीखनी होगी । लड़का तैयार हो गया और अगले दिन से ही तलवारबाजी की ट्रेनिंग के लिए जाने लगा ।अभी दो-तीन दिन ही हुए थे कि वह हिम्मत हार गया । उसे समझ आ गया कि तलवारबाजी उसके बस का काम नहीं है । इसे वह नहीं कर पाएगा ।
सिपाही बनने का सपना पूरा हुआ | अच्छी अच्छी कहानियां
उसे लगा कि उसका सिपाही बनने का सपना टूट जाएगा । अब वह सोचने लगा कि ऐसा क्या करूं , कि बिना तलवारबाजी सीखे फौज में भर्ती हो जाऊं ? तो उसे अचानक याद आया कि उसकी मां के एक रिश्तेदार के दोस्त सेना में सेनापति के पद पर कार्यरत हैं । क्यों ना उनसे सिफारिश लगाई जाए । अब वह मां के पास गया और मां से बोला कि मां कृपया मेरी सिफारिश अपने रिश्तेदार से लगाइए । उनसे कहिए कि वह मुझे सेना में भर्ती करवा दें ।
उसके मनाने पर मां ने उस रिश्तेदार से उसके लिए बात कर ली । अब वह लड़का रिश्तेदार के घर पहुंचा और सेनापति से मिला । वह सेनापति से बोला कि कृपया मुझे सेना में भर्ती कर लीजिए सेनापति ने उसकी कुछ परीक्षा ली जैसे तलवारबाजी और बोले कि तुम सेना में भर्ती होने के काबिल नहीं हो । तुम्हें तलवार चलानी भी नहीं आती ।
तुम्हारा सेना में कोई काम नहीं है लेकिन फिर भी तुम मेरे दोस्त के रिश्तेदार हो । इसलिए मैं आपको रिजर्व पोस्ट पर भर्ती कर लेता हूं । तुम्हारे पास कोई काम नहीं होगा । तुम आराम से रहो । ऐसा मुश्किल ही होगा कि आपकी जरूरत पड़े ।
लड़का यह सुनकर बहुत खुश हुआ । उसे लगा कि उसका सपना पूरा हो गया और उसे कोई काम भी नहीं करना पड़ेगा । ना ही लड़ाई में जाना पड़ेगा ।
सिपाही बनने का सपना टूटा | motivational story for students
अब धीरे-धीरे कई वर्ष बीत गए । कई वर्षों बाद उस राज्य पर दुश्मन ने हमला कर दिया । दुश्मन की फौज बहुत बड़ी थी तो राज्य के सभी सिपाहियों को युद्ध में जाना पड़ा । उस लड़के को भी जाना पड़ा । जब वह युद्ध के मैदान में पहुंचा उसकी हालत खराब थी । उसे तलवार चलानी नहीं आती थी , तो यह लड़ भी नहीं पा रहा था ।
शाम को जब युद्ध थमा । तब इस लड़के को सेनापति के सामने बुलाया गया । सब उसे बुरी बुरी बातें सुनाने लगे । उपहास उड़ाने लगे । सेनापति को लगा कि यह तो बहुत खराब स्थिति है , क्या किया जाए ? तो सेनापति ने इसे सेना से निकालने का आदेश दे दिया । और कहा कि तुम आज से राजा के महल के बाहर खड़े होकर पहरेदारी करोगे ।
लड़का बड़ा खुश हुआ कि चलो अच्छा हुआ जो मुझे यह नया काम मिल गया । अब मैं यहां राजा से मिल पाऊंगा । अगर मैं राजा से मिला तो वह भी मुझे कुछ अच्छा काम दे देंगे । अब उसे चौकीदारी करते हुए कई साल बीत गए पर उसकी मुलाकात राजा से कभी नहीं हुई । अब वह बूढ़ा होने लगा था ।
सहारे हमें कमजोर बनाते हैं | Short motivational story in Hindi
कई वर्षों बाद सर्दी का मौसम था । एक पतली सी वर्दी पहनकर वह महल के बाहर चौकीदारी कर रहा था । ठंड से ठिठुर रहा था । पर आज उसकी फरियाद शायद ऊपर वाले ने सुन ली थी । राजा की नजर उस पर पड़ गई । राजा ने देखा कि एक बूढा आदमी महल के बाहर खड़ा होकर पहरेदारी कर रहा है और ठंड से ठिठुर रहा है ।
यह देख कर राजा से रहा न गया । राजा उसके पास आया और पूछने लगा कि क्या आपको ठंड नहीं लग रही है ? तो पहरेदार बोला , कि राजा साहब “ठंड लग तो रही है पर क्या करूं, मैं कई वर्षो से इसी वर्दी में पहरा दे रहा हूं अब तो इसे सहने की आदत पड़ गई है।” यह सुनकर राजा को दया आई और उन्होंने उस से वादा किया कि वह उसके लिए महल से एक मोटा कंबल भिजवाते हैं ।
अब राजा अंदर गया और काम करते हुए यह भूल गया कि उसने बूढ़े आदमी को कंबल भेजने का वादा किया था । अब रात हो गई । पर कंबल की बात वह पूरी तरह भूल चुके थे । अगली सुबह कुछ सिपाही राजा के पास आए और बोले कि राजा साहब आपने जिस बूढ़े आदमी को कंबल देने का वादा किया था । उसकी सुबह ठंड में ठिठुरने के कारण मृत्यु हो गई हैं ।यह सुनते ही राजा भाग कर उसके पास गया ।
वहां उसने देखा कि उस चौकीदार की लाश वहां पड़ी हुई थी । और उसके पास ही मिट्टी पर कुछ लिखा हुआ था । जब राजा ने उसे पढ़ा तो वह बहुत दुखी हुआ । वहां लिखा था कि “राजा साहब मैं कई वर्षों से सर्दी की यह भयानक रातें बिताता चला रहा हूं , पर आज तक मुझे कभी इतनी ठंड महसूस नहीं हुई । लेकिन कल आप मुझसे कंबल देने का वादा करके गए थे ।
उस कंबल के इंतजार ने मुझे महसूस करा दिया कि मैं बहुत कमजोर हूं । मैं इस ठंड को सहन नहीं कर सकता मुझे ज्यादा ठंड का एहसास हो रहा था । आपके कंबल देने के वादे के सहारे मैंने सारी रात बिताई लेकिन मैं सुबह तक ठंड को सहन नहीं कर पाया और अब मैं प्राण त्याग रहा हूं । “
अपना सहारा खुद बनिए | अच्छी अच्छी कहानियां
कहानी छोटी सी है लेकिन सीख बहुत बड़ी देती है कि “सहारे हमें कमजोर बनाते हैं ।”
सफल होने के लिए हम हमेशा कोई ना कोई सहारा ढूंढते रहते हैं । क्यों हम खुद ही खुद का सहारा नहीं बनते ? कभी मां-बाप को सहारा बना लेते हैं , तो कभी भाई , कभी दोस्तों तो कभी रिश्तेदार । क्यों हम खुद पर विश्वास नहीं करते ?क्योंकि हम दूसरों को देखकर उनके जैसा बनने की कोशिश करते हैं । हम खुद क्या है , हमारी खुद की काबिलियत और शक्ति क्या है , उसे भूल जाते हैं ।
सबसे पहले जरूरत है हमें खुद के भीतर झांकने की । आंखें बंद करके अपने साथ कुछ समय जरूर बिताए और महसूस कीजिए अपनी शक्तियों को , अपनी काबिलियत को । जिस दिन आप उसे ढूंढ लेंगे , उस दिन आप विश्वास से पूरी तरह भरे होंगे । आपको अपने ऊपर विश्वास होगा कि हां आप इसमें best हैं और उस दिन आपको किसी सहारे की जरूरत नहीं होगी । अपना सहारा खुद बनिए ।
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