Last words of Ravana to Rama Hindi kahani

यह Hindi Kahani उस घटना का वर्णन करती है जब रावण के अंतिम समय में श्री राम ने लक्ष्मण को रावण से ज्ञान लेने के लिए भेजा था। तब रावण ने क्या कहा , आइये इस  hindi Kahani में जानते हैं :

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Hindi Kahani रावण के अंतिम शब्द 

रावण, कौन नहीं जानता इस नाम को , जब भी रावण का नाम आता है तो हम सबके जेहन में एक बुरे व्यक्ति की छवि आ जाती है । एक ऐसा व्यक्ति जो महान विद्वान प्रतापी तेजस्वी रूपवान पराक्रमी और महान शिव भक्त होते हुए भी त्रेतायुग का सबसे बड़ा राक्षस बन कर उभरा । हर साल हम दशहरे पर रावण को बुराई के प्रतीक के रूप में जलाते हैं । 

परंतु क्या आप जानते हैं कि रावण एक महान विद्वान भी था । रावण की एक गलती ने उसे विनाश की ओर धकेल दिया रावण चाहे कितनी भी बुराइयां हो परंतु उसके गुणों को भी भुलाया नहीं जा सकता भले ही हम हर साल दशहरे पर रावण को बुराई के प्रतीक के रूप में जलाते हैं पर उसमें कुछ अच्छाइयां भी थी श्री राम भी अपने आप को उस से प्रभावित होने से नहीं रोक पाए थे ।

दरअसल बात उन दिनों की है , जब भगवान श्री राम और रावण के बीच युद्ध चल रहा था । एक-एक करके रावण की सेना के सभी योद्धा धराशाई हो गए और अब रावण की बारी थी । रावण को मारना आसान नहीं था । रावण के भाई विभीषण के बताने पर राम ने रावण की नाभि में तीर मारा और वह धराशाई होकर जमीन पर गिर पड़ा । रावण का अंतिम समय आ चुका था । वह अंतिम सांसे ले रहा था । भगवान राम की सेना में जश्न का माहौल था । हर कोई रावण की हार का जश्न मना रहा था ।  हर तरफ खुशी ही खुशी थी । 

तभी श्री राम ने लक्ष्मण को अपने पास बुलाया और कहा कि “इससे पहले कि रावण की मृत्यु हो जाए तो रावण के पास जाओ ।  वह महान विद्वान है उसके पास बहुत सारा ऐसा ज्ञान है जो किसी के पास नहीं है । उससे थोड़ा सा ज्ञान लेकर आओ।” लक्ष्मण को लगा कि श्रीराम मजाक कर रहे हैं । वह हंसने लगे और बोले कि “भैया क्या आप मजाक कर रहे हैं । मैं उस अहंकारी तथा पापी रावण से ज्ञान लेने जाऊं , जिसने सीता भाभी का अपहरण किया था । उससे आप मुझे ज्ञान लेने के लिए कैसे कह सकते हैं । “

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श्री राम ने लक्ष्मण को आदेश दिया कि आप को जाना ही होगा । लक्ष्मण आदेश की अवहेलना नहीं कर सके और रावण के पास ज्ञान लेने के लिए गए । रावण जमीन पर खून से लथपथ पड़ा था । वह जाकर रावण के सिर के पास खड़े हो गए और गुस्से से बोले कि “है रावण ,तुम अब मरने वाले हो तो मुझे ज्ञान देकर जाओ ।  मुझे भैया ने तुम्हारे पास भेजा है ,ताकि मैं तुमसे कुछ ज्ञान ले सकूं । 

रावण को लक्ष्मण का यह स्वभाव और बोलने का अंदाज पसंद नहीं आया और रावण ने अपना सिर दूसरी तरफ घुमा लिया ।अब लक्ष्मण फिर से श्री राम के पास गए और बोले कि “मैंने पहले ही आपसे कहा था कि वह अहंकारी है, वह मुझे क्या ज्ञान देगा । श्री राम ने लक्ष्मण से सारी बात पूछी और बोले कि “कहां खड़े होकर तुमने उससे बात की थी ।” लक्ष्मण ने बताया कि उसके सिर के पास खड़ा था । उसके आखिरी वक्त में वह कुछ बोलता और मुझे सुनाई नहीं देता तो मैं क्या करता । श्री राम को यह बात पसंद नहीं आई और भी बिना कुछ बोले स्वयं रावण के पास गए ।

रावण के पास पहुंच करके उसके चरणों में हाथ जोड़ कर बैठ गए और बोले कि “हे लंकापति रावण, आप इतने बड़े महा ज्ञानी है महा बलवान है पर आपकी एक गलती सीता का अपहरण के कारण मुझे आपको सजा देनी पड़ी । इसलिए आप की ऐसी दुर्दशा हो रही है । परंतु आपके पास बहुत सारा ज्ञान है यदि आप इस दुनिया से चले गए तो आपके साथ साथ सारा ज्ञान भी चला जाएगा । इसलिए आप थोड़ा सा ज्ञान हमें भी देकर जाइए ।

रावण श्रीराम की बातों से बहुत खुश हुआ और बोला कि “मैं इस बात से बहुत खुश हूं कि तुमने अपने भाई को संस्कार और गुरु का महत्व सिखा दिया । उसे सिखा दिया कि गुरु से ज्ञान लेने के लिए गुरु के चरणों में बैठकर ज्ञान लिया जाता है ना कि उसके सिर पर खड़े होकर । रावण ने कहा कि

  1. “कभी भी किसी शुभ कार्य में देरी नहीं करनी चाहिए शुभ कार्य को जितनी जल्दी कर लिया जाए उतना अच्छा होता है और बुरे कार्य में जितनी देरी हो उतना अच्छा होता है ।
  2. दूसरी बात कि :कभी भी किसी को छोटा और कमजोर नहीं समझना चाहिए । मैंने बंदरों की सेना को छोटा समझ कर बहुत बड़ी गलती की थी । सामने वाले की ताकत का अंदाजा कम नहीं आंकना चाहिए ।
  3. तीसरी बात मुझ में और तुम में  बस एक फर्क है जिसकी वजह से आज मैं धराशायी हूं और तुम विजेता ।

श्रीराम ने निवेदन किया कि “कृपया आप वह अंतर व कारण बताए रावण बोला कि मैं हर प्रकार से तुम से श्रेष्ठ हूं , बल बुद्धि या धन संपदा। हर प्रकार से मैं तुमसे श्रेष्ठ हूं । तुम्हारे पास तो सिर्फ एक सोने का महल है और मेरे पास पूरी सोने की लंका है । लेकिन मैं तुमसे सिर्फ एक कारण से कमजोर पड़ गया । वह यह कि तुम्हारा भाई लक्ष्मण कदम कदम पर तुम्हारे साथ खड़ा रहा और मुझे मेरे ही भाई ने धोखा दे दिया ।

उसने मेरा राज बता दिया कि मेरी नाभि में तीर मारने से ही मुझे मारा जा सकता है । तुम्हारा अपना तुम्हारे साथ खड़ा है और मेरा अपना मेरी खिलाफ। मैं अंतिम समय में तुमसे यही कहना चाहूंगा कि जिंदगी में यदि आपके अपने आपके साथ खड़े हैं तो आप जीवन में बड़े से बड़ा युद्ध जीत सकते हैं ।

Hindi Kahani से सीख

शुभ कार्य को सही समय पर कर लेना चाहिए। दूसरी कभी किसी को कमजोर नहीं समझना चाहिए और तीसरी यह की वे बड़े ही खुश किस्मत होते हैं जिन्हें परिवार का साथ और प्यार नसीब होता है । परिवार के प्यार के साथ जीवन में मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति का भी सामना हंसते-हंसते किया जा सकता है । अपने परिवार की ताकत बनिए , कमजोरी नहीं ताकि आपको कभी कोई ना तोड़ सके ।

उम्मीद करती हूँ कि यह hindi kahani आपको एक अच्छी मोरल वैल्यू दे पायी होगी।  यदि आपको यह Hindi Kahani अच्छी लगी हो तो अपने प्रियजनों को शेयर जरूर करें। 

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