If you are searching for the Motivational Story in Hindi where you can get motivated with reading. You are at the right place where I am sharing with you the motivational stories in Hindi which will help you to get the real goal of your life. he stories presented here are for everybody. These stories will make your life easy and happy .
1. Top Motivational story in Hindi | सबसे पहले खुद को मजबूत बनाइए।
एक बार एक प्राइवेट कंपनी के ऑफिस में शोक सभा हो रही थी जहां ऑफिस के बाहर एक बोर्ड लगा था । जब ऑफिस के कर्मचारी ऑफिस पहुंचे तब उन सब ने उस बोर्ड को देखा उस बोर्ड को देखकर सब दंग रह गए क्योंकि उस बोर्ड पर लिखा था कि“जिन्होंने आप को सफल होने से रोक रखा था या जिनकी वजह से आपकी प्रगति के रास्ते रुके हुए थे , आज उनकी मृत्यु हो गई है । आज वह हमें छोड़ कर चले गए हैं । थोड़ी ही देर बाद उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू होगी । उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए ले जाएं , उससे पहले आप सब अंदर हॉल में जाकर उनके अंतिम दर्शन कर सकते हैं ।”ऐसा बोर्ड लगा हुआ देखकर सारे कर्मचारी दुखी हो रहे थे । वे यह सोच रहे थे कि उनका कोई साथी उन्हें छोड़कर चला गया है , पर वह यह सोच कर आश्चर्यचकित थे कि आखिर ऐसा कौन है जो अचानक से इस दुनिया से विदा हो गया है ।Must Read : Motivational Story in Hindi 2022साथ ही वे सब यह जानने के लिए भी उत्सुक थे कि आखिर ऐसा कौन है, जिसने हमारी राह रोकी हुई थी और आज हम उस से मुक्त हो गए हैं । आज वह हमें छोड़कर चला गया है , सारे कर्मचारी यह जानना चाहते थे कि वह कौन है ? कोई सोच रहा था , शायद बॉस होगा ! बहुत परेशान करता था । कोई सोच रहा था कि कोई सहायक कर्मचारी होगा ! जो कुछ करने ही नहीं देता था । परंतु कोई भी यह नहीं जान पा रहा था कि आखिर किसकी मृत्यु हुई है ?दरअसल हॉल में इस तरह की व्यवस्था की गई थी कि जो अंदर जाता था वह दर्शन करके सीधा दूसरे दरवाजे से बाहर निकल जाता था । वे सब एक दूसरे से संपर्क नहीं कर सकते थे । तो सभी जो अंदर जा रहे थे , अचंभित थे कि आखिर किसकी मृत्यु हुई है ? जो भी हॉल में जाता था , बाहर निकलते हुए उसके चेहरे पर एक ऐसा भाव होता था , मानो उसे कोई झटका लगा हो । आखिर कौन था अंदर ?जो कर्मचारी अंदर जा रहे थे , उनमें से एक कर्मचारी हमेशा यह सोच कर दुखी रहता था कि कभी कोई काम नहीं करने देता तो कभी कोई । वह बड़ा खुश था सोच रहा था कि चलो अच्छा हुआ , कि कोई तो गया, जिसने मेरा रास्ता रोका हुआ था । अब उसकी अंदर जाने की बारी आई । वह अंदर गया तो उसने देखा के अंदर एक बॉक्स था जिसमें पार्थिव शरीर रखा हुआ था ।जब उसने बॉक्स का ढक्कन खोला तो वह हैरान रह गया । उसके अंदर कोई पार्थिव शरीर नहीं था बल्कि अंदर एक शीशा रखा हुआ था , और उसके पास एक नोट रखा था । जिस पर लिखा था कि “जिंदगी में वह आप ही हैं , जिसने खुद का रास्ता रोका हुआ है । आपने खुद ही अपनी तरक्की को रोक रखा है । आपको अपनी कमजोरियों को समझने और उनको दूर करने की जरूरत है ।” यह सब पढ़कर वह आदमी शर्मसार हो गया । उस दिन उसे समझ आया कि वह दिन भर दूसरों को दोष देता रहता था । असली कमी तो उसके खुद के अंदर थी ।छोटी सी कहानी है लेकिन हमें सिखा देती है कि सभी के जीवन में कुछ ना कुछ कमियां हैं कुछ खामियां हैं , उन कमियों को ढूंढने और दूर करने की कोशिश कीजिए ना कि हर वक्त दूसरों में कमियां ढूंढिए । हर वक्त यह मत कहिए कि पढ़ने का या आगे बढ़ने का माहौल सही नहीं है । पहले आप खुद को अंदर से तैयार कीजिए । आज तक जितने भी लोग सफल success हुए हैंक्या उनको खराब माहौल नहीं मिला होगा ।या जितने भी सफल लोग हुए हैं क्या उन सबको अनुकूल वातावरण मिला होगा । उन सब को भी कुछ ना कुछ कठिनाइयों चुनौतियों का सामना करना पड़ा था । सबसे पहले आप अपने अंदर की कमियों को दूर कीजिए और फिर आगे बढ़िये। पहले आप खुद को अंदर से तैयार कीजिए , अंदर से मजबूत बनाइए । फिर चाहे कैसा भी माहौल हो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक पाएगा याद रखिए कि आप खुद ही हैं जिसने आपका खुद का रास्ता रोका हुआ है ।
2. उद्देश्यविहीन जीवन | motivational story in hindi
एक बार एक गांव में एक प्रधान और उनका बेटा रहते थे प्रधान जी का बहुत नाम था , लोग दूर-दूर से उनसे अपनी समस्याओं का हल लेने के लिए आते थे। वे हमेशा दूसरों के लिए एक महान शख्सियत थे। वे सभी को ज्ञान दिया करते थे कि जीवन में कुछ ना कुछ काम जरूर करना चाहिए लेकिन उनका खुद का बेटा कभी भी उनकी अहमियत नहीं समझता था। उनके बेटे को लगता था कि हमेशा पिताजी दूसरों को ऐसे ही ज्ञान देते रहते हैं । क्या रखा है इस सब ज्ञान में जीवन सिर्फ मौज उड़ाने के लिए है। उनका बेटा कोई काम नहीं करता था अपने पिता के पैसे को दिन रात उड़ाता रहता। वह एक उद्देश्यहीन जीवन बिता रहा था। प्रधान जी का बुढ़ापा आता जा रहा था तो प्रधान जी यह सोच कर परेशान थे कि आखिर मेरे बाद इस मेरे बेटे का क्या होगा यह तो कुछ काम भी नहीं करता। एक दिन प्रधान जी को याद आया की उन्होंने दूर पहाड़ी पर एक खजाना छुपाया हुआ है क्यों न उसे मंगवा लिया जाये , बेटे के काम आ जायेगा। तब प्रधान जी ने अपने बेटे से कहा कि बेटा यहां से बहुत दूर पहाड़ी पर मैंने एक खजाना छुपाया हुआ है अब मेरी तो उम्र नहीं रही कि मैं वहां जा सकूं पर मेरी जगह तुम तो जा सकते हो। मैं सोच रहा था कि क्यों ना तुम वहां जाकर उस खजाने को ले आओ उनके बेटे के मन में लालच आ गया। वह सोचने लगा के बिना कुछ किए ही मुझे इतना सारा खजाना मिल जाएगा और वह खजाना लेने जाने के लिए तैयार हो गया। अगली सुबह वह अपने पिता जी ने उसे एक बैग दिया जिसमें कुछ कपड़े , कुछ खाने का सामान , कुछ पैसे और एक नक्शा था। उस बैग को प्रदान जी ने अपने बेटे को दिया और कहा की तुम इस बैग में तुम्हारी जरूरत की साड़ी चीजे हैं , अब तुम खजाना लेने के लिए यात्रा पर निकल जाओ। लड़का यात्रा पर निकल गया। उसके सामने एक उद्देश्य था की उसे खजाना लेकर आना था , तो वह खुशी – ख़ुशी चले जा रहा था। न तो उसे मौसम की चिंता थी और न दिनों की। उसे चलते चलते कितने दिन बीत गए उससे पूछ नहीं रहा। जब वह खजाने की खोज पर जा रहा था तो रास्ते में कई तरह के लोग मिले , कुछ अच्छे तो कुछ बुरे। वह धीरे धीरे जीवन और दुनिया को समझने लगा था। पर उसे किसी चीज की चिंता नहीं थी। वह हर मौसम और हर मुसीबत से लड़ता हुआ चले जा रहा था क्योंकि उसे सामने सिर्फ खजाना ही दिखाई दे रहा था। अंत में हर मुश्किल से लड़ते हुए वह अपनी मंजिल पर कब पंहुच गया उसे पता भी नहीं चला। जब वह नक़्शे के अनुसार वहां पहाड़ की चोटी पर पहुंचा तब उसे वहां एक पेड़ दिखाई दिया। इस पेड़ की जड़ों में ही खजाने की बात उसके पिताजी ने उसे बताई थी .परंतु जब उसने उस पेड़ की जड़ों में खुदाई की तो उसमें कुछ नहीं मिला। उसने वहां लगे सारे पेड़ों की जड़ों में खुदाई कर दी , पर उसे वहां कुछ भी नहीं मिला। अंत में उसे यह समझ आ गया कि हो न हो उसके पिताजी ने उसे मूर्ख बना दिया है। उसे अपने पिता पर बहुत गुस्सा आ रहा था पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें ?अब उसके पास पैसे भी खत्म हो चुके थे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं परंतु अंत में उसने वापस जाने का विचार बनाया। इस बार उसके पास कोई लक्ष्य नहीं था , बस घर वापस जाना था। अब वह वापस पहाड़ी से उतरने लगा। इस बार जब वह पहाड़ी से उतर रहा था फिर वही मौसम बदल रहे थे , पर इस बार उसने मौसम बदलते हुए देखा। उस मौसम को महसूस किया और प्रकृति की सुंदरता को देखकर उसे एहसास हुआ कि प्रकृति कितनी सुंदर है। प्रकृति की दी हुई एक एक चीज कितनी महत्वपूर्ण और खूबसूरत है। रस्ते में पड़ रही एक एक चीज और एक एक मौसम का उसने पूरा आनंद लिया। रास्ते में उसे हर वह व्यक्ति मिला जो उसे जाते हुए मिला था। पर जाते हुए उसने उन व्यक्तियों पर ध्यान ही नहीं दिया था। लेकिन अब लौटते हुए उसने हर उस व्यक्ति की मदद की जिसने जाते समय उसकी मदद की थी। उसे रास्ते में कुछ खेत में भी मिले उसने उन खेतों में काम भी किया और काम करके पैसे भी कमाये। उन पैसों से अपने लिए कुछ कपड़े भी खरीदे। उसने कुछ खाने का सामान भी खरीदा। तब उसे एहसास हुआ कि काम जीवन में कितना महत्वपूर्ण है। अब जब वह वापस अपने गांव पहुंचा तो उसे एहसास हुआ की उसने कितना समय उस सफर में गुजार दिया। जब वहां गया था केवल 5 महीने लगे थे लेकिन जब वापस आया तो उसे 1 साल लग गया था। जब घर पहुंचा तो उसके पिताजी उसका इंतजार कर रहे थे। पिताजी ने उसे देखते ही गले लगा लिया। वे पूछने लगे कि उसकी यात्रा कैसी रही ? लड़के ने कहा कि पिताजी यात्रा अच्छी थी पर जैसे ही मैं वहां पहुंचा मुझसे पहले ही कोई खजाना लेकर जा चुका था , तो मैं खजाना नहीं ला पाया। लड़के ने जैसे ही यह जवाब दिया तो वह सोचने लगा की ये उसने क्या बोल दिया। वह तो बहुत नाराज था। उसे तो अपने पिताजी से झगड़ा करना था। इतना सुनते ही पिता जी बोले की नहीं बेटा वहां कोई खजाना नहीं था। मैंने तो तुम्हे ऐसे ही वहां भेज दिया था। लड़के ने ऐसा करने का कारण पुछा तो उनके कुछ बोलने से पहले ही लड़का बोला कि पिताजी आपके बोलने से पहले ही मैं आपका मुझे भेजने का उद्देश्य समझ चुका हूं। मैं समझ चुका हूं कि आपने मुझे मेरे जीवन में एक उद्देश्य (goal of life) देने के लिए या एक उद्देश्य की अहमियत समझाने के लिए वहां भेजा था। मैं समझ चुका हूं कि हमारे जीवन में एक लक्ष्य का होना बहुत जरूरी है क्योंकि अगर उद्देश्य ना हो तो हम अपने जीवन को कहां ले जा रहे हैं किस दिशा में ले जा रहे हैं हमें कभी समझ ही नहीं आता। और हमारा जीवन उद्देश्य विहीन हो कर चलता रहता है। प्रधान जी अपने बेटे की इस समझदारी को देखकर खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। जीवन हम सब को एक समान मिला है पर फिर भी इसमें कोई छोटा है तो कोई बड़ा। किसी ने बड़े लक्ष्य को पा लिया है तो किसी ने छोटे। जीवन में दुखी है तो केवल वे लोग जिन्हें अपने जीवन का लक्ष्य ही नहीं पता। जब हम अपने लक्ष्य के प्रति जागरूक होते हैं तो हम कम समय में ही अपने लक्ष्य को पा लेते हैं । लेकिन जब हमें हमारा लक्ष्य ही नहीं पता कि हमें जीवन में करना क्या है ? हमें किस दिशा में जाना चाहिए। तो जीवन का आधा समय तो यह सोचने में ही निकल जाता है कि आखिर हमें करना क्या है। इसलिए सबसे पहले जरूरत है अपने लक्ष्य को ढूंढने की। अपने आप को और अपनी खूबियों को समझें कि आप क्या कर सकते हैं ? क्या बन सकते हैं ? सबसे पहले अपने जीवन का एक लक्ष्य बनाइए ताकि आप उस लक्ष्य की ओर आसानी से और कम समय में बढ़ सकें । यदि आपके जीवन का कोई लक्ष्य नहीं होगा तो आपके जीवन का समय ऐसे ही व्यर्थ चला जाएगा आपको पता भी नहीं चलेगा कि कब आप के जीवन का बहुत सारा समय यूं ही व्यर्थ हो जायेगा।
3. तरीके बदलो इरादे नहीं | motivational story in hindi
इस Motivational Story in Hindi को पढ़कर आप अपना लक्ष्य आसान बना पाएंगे ।
“करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान । रसरी आवत जात है, सिल पर परत निसान ।”Kabir das
कबीरदास जी ने सच ही कहा है कि अगर किसी महामूर्ख को भी अगर बार बार अभ्यास कराया जाए तो वह भी विद्वान बन सकता है , उसी तरह जैसे कुएं के पत्थर पर पानी खींचने के लिए रोज रोज रस्सी डाली जाती है तो उस पत्थर पर भी रस्सी निशान बना देती है।उसी प्रकार यदि सही दिशा में बार बार सही प्रयास किए जाए तो मंजिल आपसे दूर कभी नहीं रह सकती ।
Motivational story in Hindi एक बार एक 10 साल का लड़का आठवीं में पड़ता था वह रोज स्कूल जाता था । वह जिस रास्ते से गुजरता था उस रास्ते में एक आम का बाग पढ़ता था । आम का बाग देख कर रोज उसे मन करता कि वह आम तोड़कर खा ले । लेकिन उस बाग में हमेशा एक माली रहता था। मन में आम खाने का लालच था, पर साथ ही माली का डर भी। वह रोज सोचता कि क्या करूं कि यह आम तोड़ पाऊं लेकिन उसे सामने ही माली दिखाई दे जाता ।एक दिन जब वह वहां से गुजर रहा था तो उसे माली दिखाई नहीं दिया । इधर उधर देखा तो पता चला कि माली सो रहा है । इसे लगाकर इससे अच्छा मौका तो उसे नहीं मिलेगा । वह दबे पांव बाग में अंदर घुस गया जब उसने अंदर देखा तो हर तरफ आम ही आम थे । इतने आमों को देखकर उसका मन ललचा रहा था । वह अंदर आ तो गया था पर उसने देखा कि पेड़ों की ऊंचाई बहुत ज्यादा थी ।वह चढ़कर तो आम नहीं तोड़ पाएगा तो उसने सोचा कि क्यों ना पत्थर मार-मार कर आम तोड़ लूं। क्या पता एक दो आम गिर भी जाए । उसने बहुत सारे छोटे छोटे पत्थर इधर उधर से इकट्ठे कर लिए ।अब उसने एक आम के पेड़ पर पत्थर मारना शुरू किया । बहुत सारे पत्थर उस पेड़ पर मारे पर एक ही आम नहीं गिरा। अब उसकी नजर दूसरे पेड़ पर पड़ी जो पहले पेड़ से थोड़ा सा छोटा था । उसने सोचा कि शायद इस पेड़ से मुझे आम मिल जाए तो उसने दूसरे पेड़ पर पत्थर मारना शुरू कर दिया । इस पेड़ से भी उसे एक भी आम नहीं मिला । उसने बहुत सारे पेड़ों पर पत्थर मारे पर उसे सफलता हासिल नहीं हुई । वह निराश हो गया और किस्मत और भगवान को कोसने लगा हमारे साथ भी तो ऐसा ही होता है । जब हम सफल नहीं होते तो किस्मत को और भगवान को दोष देने लगते हैं । ऐसा ही उस लड़के के साथ हुआ सोचने लगा कि मैंने तो इतनी मेहनत की पर मुझे कोई फल नहीं मिला ।लगता है भगवान भी मुझसे नाराज है यह सोचकर गर्दन नीचे झुकाए हुए उदासी भरे एहसास के साथ में बाग से बाहर जाने लगा । यह सब वह माली लेटा हुआ देख रहा था । माली ने उसे अपने पास बुलाया लड़का डर गया कि कहीं मारेगा तो नहीं । लेकिन जब माली ने प्यार से उसे बुलाया तो वह आ गया । माली ने उससे पूछा कि क्यों उदास हो तो लड़के ने उसे सारी बात बता दी । उसकी बातें सुनकर माली हंसने लगा और समझाते हुए बोला कि जब एक पेड़ से आम नहीं टूटे तो तुमने दूसरा पेड़ चुन लिया फिर उससे भी आम नहीं गिरा तो तुमने तीसरा पेड़ चुन लिया । ऐसे कई अलग-अलग पेड़ों पर तुमने पत्थर मारे पर अपने आम तोड़ने के तरीके को नहीं बदला । तुमने जितनी मेहनत उन पेड़ों पर पत्थर मारने में लगाई उससे कम मेहनत में ही अगर तुम आम तोड़ने के तरीके को बदल लेते यानी पेड़ पर थोड़ा सा चढ़कर आम तोड़ने की कोशिश करते तो शायद तुम आम तोड़ने में सफल हो जाते ।इससे तुम्हारी मेहनत और समय दोनों बच जाते और तुम्हें ढेर सारे आम भी मिल जाते । यह सुनकर लड़का मुस्कुराया और बोला कि “हां कितना आसान था यह करना पर मैंने सोचा ही नहीं ।”अक्सर हम सब के साथ भी ऐसा ही होता है हम लक्ष्य को पाने के लिए ना जाने कितने अलग-अलग राहों पर चलते हैं और भटक जाते हैं हम एक बार में ही सारी उपलब्धियां पा लेना चाहते हैं स्कूल लाइफ से ही यह संभव शुरू हो जाता है।हम सफल होने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में यह सोचकर प्रयत्न करते हैं कि शायद इसमें सफल हो जाए इसमें नहीं हुए तो शायद दूसरे में हमारा लक्ष्य निर्धारित ही नहीं हो पाता और जब सफल नहीं हो पाते तो किस्मत को दोष देते हैं हम रास्ते तो अलग-अलग चुन लेते हैं पर अपने लक्ष्य को नहीं पहचान पाते । हमारे प्रयास बिखरे हुए मोतियों की तरह होते हैं , जिन्हे एक सही दिशा में पिरो दिया जाए तो माला बन जाती है ।
Motivational story in Hindi से सीख :
याद रखिए कि सबसे पहले अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहे और यदि लक्ष्य ना मिले तो तरीके बदलो इरादे नहीं सुखी वृक्ष अपनी पत्तियां बदलते हैं जड़े नहीं । यदि आपको यह motivational stories in Hindi अच्छी लगी हो तो अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर व्यक्त करे । These Motivational Story in HIndi helps you to motivate . so please read motivational stories in Hindi here and be motivate.read more : majedar kahaniyan ,best quotes