1 अनोखा बंटवारा , Best Moral Stories in Hindi

अनोखा बंटवारा

Best Moral Stories in Hindi

अनोखा बंटवारा कहानी का नाम सुनकर ही आप समझ गए होंगे कि यह कहानी किसी बंटवारे का वर्णन करती है, परंतु इसमें अनोखा क्या है ? अनोखा शब्द का अर्थ है, कुछ ऐसा जो पहले कभी न हुआ हो या आपने ऐसा पहले कभी ना देखा है ऐसा ही कुछ अनोखा इस कहानी में हुआ , आइए देखते हैं :

Best Moral Stories in Hindi
अनोखा बंटवारा

 दो भाई एक गांव में रहा करते थे। एक भाई का नाम था राम और दूसरे का नाम था श्याम। राम बड़ा भाई था और श्याम  छोटा। दोनों भाई  स्वभाव से बिल्कुल ही अलग थे। बड़ा भाई राम सदा मस्ती के मूड में ही रहता, वह मेहनत करने से हमेशा करता रहता था लेकिन छोटा भाई  श्याम बहुत मेहनती था। छोटा भाई श्याम ही घर का सारा खर्च चलाता था। बड़ा भाई छोटे भाई के मेहनत के पैसे पर ही मौज करता। 

श्याम बहुत सीधा-साधा था और राम बहुत ही   चालाक।  श्याम जो पैसे कमा कर लाता उन से लाए हुए सामान से ही राम की जिंदगी चलती। फिर भी श्याम कभी बुरा न मानता। राम खुद भरपेट भोजन कर लेता और श्याम  के लिए बचा कुचा जो बचता वह छोड़ देता।

लेकिन एक दिन कुछ  ऐसा हुआ कि दिनभर का सारा काम करके थका हारा श्याम जब घर पहुंचा तो राम घर पर नहीं मिला।  श्याम के पेट में चूहे कूद रहे थे सारा रसोई घर खाली पड़ा था और खाने को कुछ भी नहीं था। भूख के मारे  श्याम का बुरा हाल था , अपनी आंखों में आंसू लेकर वह घर के बाहर बैठ गया और किसी से कुछ भी नहीं कहा।

गांव के प्रधान उधर से गुजर रहे थे ,उन्होंने देखा कि श्याम  उदास बैठा है। श्याम से उन्होंने पूछा कि क्या बात है पहले तो श्याम ने  बताने से मना किया लेकिन प्रधान जी के ज्यादा पूछने पर श्याम ने अपनी आपबीती कह सुनाई। 

श्याम की आपबीती सुनकर प्रधान जी की भी आंखों में आंसू आ गए। वह शाम को अपने घर ले गए।  पहले तो प्रधान जी ने श्याम को भरपेट भोजन करवाया और  बोले “  तुम सारा दिन इतनी कड़ी मेहनत करते रहते हो और तुम्हारा बड़ा भाई राम मौज मस्ती करता है उससे कहो कि वह या तो कुछ काम करने लगे अन्यथा बंटवारा कर ले ,  उससे अलग रहो और वह अलग रहे तब उसे काम की और तुम्हारी अहमियत का एहसास होगा।”

दो भाइयों का अनोखा बंटवारा

श्याम को प्रधान जी की बात अच्छी लगी।  उसने घर जाकर  राम से बंटवारे की बात कही।  क्योंकि  राम जानता था कि बंटवारे से उसका ही नुकसान होगा तो वह पहले बंटवारे के लिए तैयार नहीं हुआ।

  लेकिन श्याम के जिद करने पर राम मान गया और बोला कि “अगर तुम्हें बटवारा करने का इतना ही शौक है तो चलो बंटवारा कर लेते हैं। पिताजी हम दोनों के लिए मरते समय केवल तीन चीजें ही छोड़ गए थे पहली कंबल दूसरी भैंस और तीसरी जामुन का एक पेड़। तो केवल इन्हीं चीजों का बंटवारा होगा।”

 श्याम बोला, “ मुझे  यह शर्त मंजूर है।”राम बहुत चालाक था वह इसमें भी कुछ अपना फायदा ढूंढने की कोशिश करने लगा उसने एक चाल सूची और बोला, “कंबल को दो हिस्सों में काट कर किसी के भी काम का नहीं रहेगा इसलिए ऐसा करते हैं कि दिन में इस कंबल को तुम रख लो और यह कंबल रात को मेरे काम आएगा। 

इसी तरह एक भैंस को  भी बांटा नहीं जा सकता तो भैंस का आगे  के मुंह का हिस्सा तुम्हारा हुआ और पीछे का मेरा।  अब बच्चा पेड़,  तो जामुन के पेड़ के नीचे का भाग तुम्हारा होगा और ऊपर का मेरा। अब यह बंटवारा बराबर बराबर हो गया है अभी भी कोई शक हो तो तुम मुझे बता सकते हो”,  राम ने कहा। 

बंटवारा | best moral stories in Hindi

श्याम बहुत सीधा था उसे राम की चालाकी समझ में नहीं आई और उसे बटवारा ठीक लगा।   वह खुशी-खुशी कंबल को लेकर अपने काम पर चला गया। 

 दिन में बहुत ही तेज धूप निकलती थी तो श्याम को कंबल की जरूरत ही नहीं पड़ी शाम को जब ठंडा मौसम हो गया तब उसने वह कंबल ओढ़ लिया।  रात होते ही राम कंबल लेने श्याम के पास पहुंच गया और बोला कि तुम्हारा कंबल ओढ़ने का समय खत्म हो गया है रात में यह कंबल मेरा है।

  श्याम दिन भर काम करके परेशान था ऊपर से यह ठंड उसे सता रही थी और  राम मजे से कंबल ओढ़ कर रात भर सोता रहा। जब सुबह हुई तब श्याम  को थोड़ी गर्माहट का अहसास हुआ। श्याम सुबह उठकर भैंस को चारा डालने चला गया और दूध दुहने बैठ गया। 

 तभी  राम आया और बोला  के दूध निकालने का अधिकार मेरा है क्योंकि भैंस का  पिछले हिस्से का मालिक मैं हूं और ऐसा कहकर राम ने श्याम के हाथों से बाल्टी छीन ली और खुद दूध दुहने  बैठ गया। श्याम बेचारा चुपचाप जामुन के पेड़ के नीचे आकर बैठ गया।  

अब उसे बड़े जोर से भूख लग रही थी।   जामुन का पेड़ यह सारे जामुन ओं से भरा था जामुन तोड़कर खाने लगा तभी राम आया और उसे रास्ते हुए बोला कि “ तुम बड़े बेईमान हो मेरे जामुन खा रहे हो। पहले तो तुम दूध देने लगे और अब जामुन खाने लगे , क्या तुम्हें पता नहीं कि जामुन के पेड़ का ऊपर का हिस्सा मेरा है तो उसके सारे जामुन भी  मेरे हुए , तुम्हारे अधिकार में तो सिर्फ पेड़ की जड़ और तना आते हैं। 

इतना सुनकर श्याम को राम की चालाकी समझ आ गया प्रधान के पास पहुंचा और सारी बात बताई।  प्रधान जी ने राम को सबक सिखाने की योजना बनायीं और श्याम को समझायी। श्याम घर पहुंचा तब उसने वैसा ही किया,जैसा प्रधान जी ने समझाया था। 

उसने दिन के समय कम्बल को पानी में भिगो दिया। जब राम कंबल लेने आया तो गीले  कंबल को देखकर  झुंझला गया और बोला कि “अब मैं रात में क्या ओढूँगा।” श्याम ने भी कड़ककर जवाब दिया कि “दिन में यह कंबल मेरा है मैं इसका कुछ भी करूं चाहे ओढू या भिगाऊँ।”

अगली सुबह जब राम दूध दुहने बैठा तभी श्याम ने एक लाठी की भैंस की गर्दन पर जोर से दे मारी। लाठी पडते  ही भैंस भड़क गई और राम के मुंह पर दुलत्ती दे मारी। राम जाकर एक और गिरा और दूसरी ओर दूध की बाल्टी।  गुस्से में गुर्राता हुआ राम बोला “श्याम यह क्या मजाक है, पागल हो गए हो क्या?” श्याम ने भी एक कड़क दार जवाब दिया और बोला के “भैंस के आगे का हिस्सा मेरा है मैं उसका कुछ भी करूं उससे तुम्हें क्या मतलब।”

राम श्याम की ओर हैरानी से देखता ही रह गया थोड़ी देर बाद  राम ने देखा कि श्याम जामुन के पेड़ को काटने जा रहा है  तब राम बोला “ अरे श्याम  तुम्हारा दिमाग तो ठीक है अगर जामुन के पेड़ को काट दोगे तो  जामुन कैसे मिलेंगे?”श्याम बोला “मेरा भाग तो केवल जड़ और तना है मैं अपने हिस्से के साथ कुछ भी करूं इससे तुम्हें क्या मतलब, मुझे जामुन से कोई लेना देना नहीं है।”

 राम अब समझ चुका था कि श्याम को उसकी चालाकी समझ आ गई है।  वह शाम के आगे हाथ जोड़कर खड़ा हो गया और बोला कि “भाई मुझे माफ कर दे मैं अब कभी भी तुम्हारे साथ धोखा नहीं करूंगा।अब हम दोनों मिलकर ही रहेंगे और साथ-साथ मेहनत भी करेंगे।” इसके बाद दोनों भाई मिलजुल कर रहने लगे। 

मेरे विचार

आज के समय में परिवारों में सामूहिक परिवार से एकल परिवार का रूप ले लिया है अधिकतर परिवार एकल हो गए हैं।  आधुनिक समय में लोगों की सोच ऐसी हो गई है कि यदि कोई परिवार बंटवारा करना भी चाहे तो पड़ोसी रिश्तेदार आकर उन्हें यही शिक्षा देने लगते हैं कि बंटवारा कर दो।  बटवारा चाहे अनचाहे हो ही जाता है। 

 कभी कभी मेरे मन में यह ख्याल आता है कि बड़े होने पर कैसे एक सामूहिक परिवार की खुशी एक बंटवारे के सामने छोटी पड़ जाती है।  क्यों बच्चे सिर्फ अपने बारे में सोचने लगते हैं क्या यह समय की मांग है या हमारी परवरिश में कुछ बदलाव आए हैं क्या हम अपने बच्चों को बचपन से ही ऐसी शिक्षा नहीं दे सकते कि वह एक दूसरे से कभी अलग ना हो और पारिवारिक प्रेम सदा बना रहे।  यदि आपके मन में भी कोई सुझाव हो तो हमारे साथ शेयर जरूर करें। 

 आपको यह अनोखा बंटवारा कहानी कैसी लगी अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। 

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