धनतेरस आते ही दिवाली का त्यौहार प्रारंभ हो जाता है । धनतेरस कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी यानी thirteenth day of new moon के दिन मनाया जाता है । इस वर्ष धनतेरस कब है तो आपको बता दें कि इस बार Dhanteras 2022 में 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा । यहाँ माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए dhanteras katha और dhanteras story in hindi प्रस्तुत की गयी है, पढ़ें और लाभ उठायें ।
धनतेरस का अर्थ क्या है ? Meaning of Dhanteras
धनतेरस का अर्थ उसके नाम में ही छुपा हुआ है, धन यानी संपत्ति + तेरस यानी 13 गुना अर्थात धन को 13 गुना बढ़ा देने वाला त्यौहार है धनतेरस ।
धनतेरस पर बर्तन क्यों खरीदते हैं ?
धनतेरस के दिन लोग वैद्य धन्वंतरि की पूजा करते हैं क्योंकि धन्वंतरि इसी दिन समुद्र मंथन के समय अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे । चूंकि धन्वंतरि इस दिन समुद्र मंथन के समय कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन बाजार से बर्तन खरीद कर लाने की परंपरा प्रचलित है ।
धन्वंतरी कौन हैं ?
धनवंतरी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है । । धन्वंतरी भगवान को देवताओं का वैद्य कहा जाता है । भगवान धन्वंतरि की पूजा अर्चना करने से आरोग्य सुख मिलता है तथा अकाल मृत्यु दूर रहती है। इस दिन धनवंतरी के साथ-साथ माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की भी पूजा की जाती है । इस त्यौहार को मनाने का मुख्य कारण कुछ पौराणिक कथाएं व कहानियां हैं जिनका वर्णन धर्मशास्त्रों में मिलता है । मैं यहां आपके लिए कुछ कहानियों , कथाओं को प्रस्तुत कर रही हूं ।
1. प्रथम पवित्र धनतेरस कथा | धनतेरस को यम का दीपक क्यों जलाया जाता है ?
dhanteras story in hindi : प्राचीन काल में एक प्रतापी राजा था जिसका नाम हंसराज था । एक बार वह जंगल में शिकार करने गया लेकिन जंगल में भटकते भटकते राजा हेमराज के यहां पहुंच गया । राजा हेमराज ने राजा हंसराज का बड़े ही आदर भाव से स्वागत किया । राजा हेमराज के यहां उनकी रानी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया । राजा हेमराज ने इस अवसर पर एक बड़े महोत्सव की घोषणा की ।राजा हेमराज ने राजा हंसराज से महोत्सव तक रुकने का आग्रह किया । राजा हंसराज उनकी बात नहीं टाल सके और वहीं रुक गए ।
बच्चे की छठी का दिन आया सब तरफ खुशी का माहौल था । महोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा था । तभी देवी प्रकट हुई और उन्होंने भविष्यवाणी की , कि जिस बालक के जन्म पर इतनी खुशियां मना रहे हो उसी बालक की मृत्यु उसके विवाह के चौथे दिन निश्चित है । महोत्सव अचानक गम के माहौल में बदल गया ।
राजा हेमराज और उनका परिवार अचानक आए दुख के इस कहर से टूट गए । उनके दुख का कोई अंत नहीं था । ऐसे में राजा हंसराज ने उन सब की हिम्मत बनाई और बोले कि मित्र आप जरा भी विचलित ना हो । इस बालक के जीवन की रक्षा में करूंगा । इसे कोई भी जरा भी नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा ।
अब राजा हंसराज ने यमुना नदी के किनारे एक भूमिगत undreground किला बनवाया और साथ ही राजकुमार के पालन पोषण का पूरा इंतजाम किया । राजा हंसराज ने ब्राह्मणों को बुलाकर तरह-तरह के अनुष्ठान भी करवाए । समय गुजरने के साथ साथ राजकुमार बड़ा होने लगा । वह इतना सुंदर था कि उसके रूप और तेज की चारों तरफ चर्चा होने लगी । राजकुमार की उम्र विवाह के योग्य हो चुकी थी । राजा हंसराज के सुझाव पर राजा हेमराज में राजकुमार का विवाह एक अति सुंदर कन्या के साथ विवाह कर दिया ।
चूंकि विवाह के चौथे दिन राजकुमार की मृत्यु निश्चित थी तो यमराज के दूत उसे लेने आ गए । सारा राज परिवार विवाह की खुशियां मना रहा था तभी यमदूत राजकुमार को ले जाने लगे । उसी समय यह सब देखकर ऐसा हाहाकार मचा के दूत भी रोने लगे । परंतु यह पूर्वनिश्चित था तो यमदूत राजकुमार को लेकर चले गए ।
इस घटना के कुछ दिनों बाद यमराज ने यमदूत से पूछा कि तुम अनंत काल से जीवो के प्राण हर रहे हो, क्या तुम्हें कभी भी किसी पर दया नहीं आई ? एक यमदूत ने कहा कि ऐसा तो कम ही हुआ है परंतु एक घटना जो मुझे आज भी विचलित कर देती है,मुझे याद है। यमदूत भी राजा हेमराज के पुत्र की इस घटना को सुनकर दुखी हो गए ।
एक यमदूत बोला कि क्या कोई ऐसा उपाय है जिससे इस प्रकार को टाला जा सके । मृत्यु तो जीवन का सत्य है ,इसे टाला नहीं जा सकता है । परंतु यदि कोई कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन व्रत रखकर और यमुना में स्नान करके धन्वंतरि का पूजन करता है या यदि यह संभव ना हो तो इस दिन रात्रि में यम का दीपक जलाता है, वह अकाल मृत्यु से दूर रहता है । तब से ही धनतेरस के दिन अपने घर के प्रवेश द्वार पर यम का दीपक जलाने की परंपरा चली आ रही है ।
2. दूसरी धनतेरस कथा | धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है ?
story behind celebration of dhanteras
History of Dhanteras
कहा जाता है कि धन्वंतरी वैद्य के जन्म लेने के दो दिन बाद महालक्ष्मी प्रकट हुई । इसीलिए धनतेरस के दिन धन्वंतरि वैद्य के साथ-साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है । एक समय की बात है जब भगवान विष्णु मृत्युलोक में अपने भक्तों का हाल जानने के लिए आ रहे थे । तभी मां लक्ष्मी ने भी उनसे मृत्यु लोक में उनके साथ आने का आग्रह किया । परंतु भगवान विष्णु ने कहा कि यदि आप जैसा मैं कहूं वैसा ही मानो तो आप मेरे साथ चल सकती हो । माता लक्ष्मी ने उनकी यह बात स्वीकार कर ली और विष्णु जी के साथ मृत्युलोक में आ गई ।
कुछ देर बाद वे एक स्थान पर पहुंचे । तब विष्णु जी ने लक्ष्मी जी से कहा कि आप यहीं रुकिए । मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूं । मैं जब तक वापस ना आ जाऊं तब तक आप यही रुकिएगा । ऐसा कहकर विष्णु जी वहां से चले गए । विष्णु जी के चले जाने के बाद लक्ष्मी जी को उत्सुकता हुई कि आखिर क्यों वहां जाने से मुझे मना किया है ।
ऐसा क्या है उस दिशा में , लक्ष्मी जी उसी उत्सुकता में विष्णु जी के पीछे चल पड़ी । कुछ ही दूर चलने पर उन्हें एक सरसों का खेत दिखाई दिया । जिसमें बहुत सारे फूल लगे हुए थे । सुंदर सुंदर फूलों को देखकर लक्ष्मी जी मंत्रमुग्ध हो गई और कुछ फूल तोड़ कर अपना श्रृंगार करने लगी और आगे बढ़ी । अब आगे उन्हें एक गन्ने का खेत में से गन्ना तोड़कर लक्ष्मी जी गन्ना चूसने लगी ।
तभी विष्णु भगवान वहां आ गए यह देखकर विष्णु जी ने क्रोधित होकर लक्ष्मी जी को श्राप दे दिया । वह बोले कि “मैंने तुम्हें यहां आने से मना किया था , पर तुमने मेरी बात नहीं मानी और किसान के खेत से चोरी का अपराध कर दिया । अब तुम्हें प्रायश्चित स्वरूप किसान के घर में 12 वर्ष तक सेवा करनी होगी ।”
ऐसा कहकर विष्णु जी लक्ष्मी जी को वहीं छोड़ कर वापस चले गए । अब लक्ष्मी जी उनके घर रहने लगी एक दिन लक्ष्मी जी ने किसान की पत्नी से कहा कि “तुम मेरी बनाई लक्ष्मी की मूर्ति की पूजा करो । तुम्हारी हर इच्छा पूर्ण होगी ।” किसान की पत्नी ने ऐसा ही किया । कुछ ही दिनों में किसान का घर धन समृद्धि से भर गया ।
अब बारह वर्ष बाद भगवान विष्णु लक्ष्मी जी को वापस लेने आए । किसान ने उन्हें भेजने से मना कर दिया । विष्णु जी ने बताया कि यह मेरे श्राप के कारण यहां 12 वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही थी । अब 12 वर्ष पूरे हो चुके हैं । अब इन्हें जाना होगा । किसान लक्ष्मी जी को भेजने से मना करने लगा ।
लक्ष्मी जी ने किसान से कहा कि “अगर तुम मुझे रोकना चाहते हो , तो कल त्रयोदशी के दिन घर को साफ करके घी का दीपक जलाकर रखना और सांय काल में मेरा पूजन करना । एक तांबे के कलश में मेरे लिए धन रखना । मैं उस कलश में ही निवास करूंगी । मैं तुम्हारे घर में ही निवास करूंगी । लेकिन तुम्हे दिखाई नहीं दूंगी ।” किसान ने मां लक्ष्मी के कहे अनुसार पूजा अर्चना की । उससे किसान का घर धन धान्य से भर गया । तब से ही प्रत्येक वर्ष धनतेरस पर लक्ष्मी पूजन किया जाता है।
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ये कहानियां पौराणिक कथाओं व इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी पर आधारित हैं । कहानी हिंदी में इस जानकारी की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है |
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3 Best Motivational story in Hindi 2022
धनतेरस कब मनाई जाती है ?
। धनतेरस कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी यानी thirteenth day of new moon के दिन मनाया जाता है ।
२०२२ में धनतेरस कब है ?
इस बार धनतेरस 2022 में 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा ।
धनतेरस को यम का दीपक क्यों जलाया जाता है ?
राजा हंसराज और यमराज की कहानी पढ़कर आप इसका कारन जान जायेंगे।
धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है ?
मां लक्ष्मी और किसान की कहानी पढ़कर आप इसका कारण जान जायेंगे।