हरियाली तीज 2023 कब है ?
इस बार हरियाली तीज 2023 का त्यौहार 19 अगस्त को है। यह त्यौहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर में यह त्यौहार जुलाई या अगस्त के माह में आता है।
हरियाली तीज क्यों मनाया जाता है ?
सावन का पूरा माह हिन्दू धर्म में भगवान शंकर और माता पार्वती को समर्पित है। सावन के त्योहारों के क्रम में एक त्योहार जो मुख्यतः सुहागिन महिलाओं से सम्बंधित है , हरियाली तीज इसी माह में पड़ता है। पोराड़िक मान्यता है की माता पार्वती ने भगवान् शंकर को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। हरियाली तीज के दिन ही अर्थात श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ही दोनों का मिलन हुआ था।
उसी समय से ही माता पार्वती और भगवान शंकर की जोड़ी से आशीर्वाद लेने के लिए सुहागिन महिलाये व्रत रखती हैं। इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा अर्चना और व्रत करके सुहागिन महिलाये सौभाग्य पूर्ण जीवन और अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। सुहागिन महिलाये इस व्रत को निर्जला व्रत रखती हैं।
इस व्रत को कहीं कहीं कुंवारी कन्याओं द्वारा भी मनाया जाता है। कुंवारी कन्यायें हरियाली तीज का व्रत रखकर मनोवांछित वर की कामना करती हैं |
हरियाली तीज 2022 शुभ मुहूर्त
हरियाली तीज दिन और तारीख | 19 अगस्त , दिन शनिवार |
तृतीया तिथि प्रारम्भ | 18 अगस्त रात 8 बजकर 1 मिनट बजे से |
तृतीया तिथि समाप्त | 19 अगस्त रात 20 बजकर 19 मिनट |
हरियाली तीज से जुड़ी प्रथाएं :
भारत देश विभिन्न परम्पराओं से जुड़ा देश है। यहाँ हर त्यौहार की अपनी अलग परंपराएं प्रचलित हैं। हरियाली तीज से जुडी कुछ परम्पराएं यहाँ बताई जा रही हैं।
- हरियाली तीज का त्यौहार नयी नयी विवाहित महिलाओं के लिए अधिक महत्व रखता है। विवाह के बाद पहली हरियाली तीज को महिलाओं को ससुराल से मायके बुलाने की प्रथा प्रचलित है।
- हरियाली तीज से एक दिन पहले नव विवाहित महिला के लिये ससुराल से श्रृंगार का सामान व मिठाई भेजी जाती है।
पहली तीज के बाद विवाहित महिला के लिए मायके से श्रृंगार का सामान और कपडे भेजने की परम्परा प्रचलित है।
- कुछ चीजों को महिलाओं के सुहाग की निशानी माना जाता है जैसे मेहंदी , आलता , और श्रृंगार का सारा सामान |
मेहंदी लगाना एक सुहागन के श्रृंगार को पूर्ण बनाता है। हरियाली तीज के दिन मेहंदी लगाना व पैरों में आलता लगाना बहुत शुभ माना जाता है। इनके बिना श्रृंगार अधूरा रहता है।
- कोई भी त्यौहार बड़ों के आशीर्वाद के बिना अधूरा रहता है , इस सुहागिन महिलाएं अपनी सास का आशीर्वाद लेकर कुछ श्रृंगार का सामन भेंट में सास को देती हैं।
- हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाओं या कुंवारी कन्याये बागों में झूले डालती हैं। इस दिन गीत गाते हुए झूला झूलकर आनंदित होती हैं। इस दिन झूला झूलने की परंपरा भी बहु प्रचलित है।
- इस दिन महिलाये पूरा श्रृंगार करके और हरे वस्त्र पहनकर माता पार्वती और भोलेनाथ की पूजा अर्चना करती हैंऔर अपने पति की लम्बी आयु की कामना करती हैं।
- इस दिन घर घर में पकवान बनाये जाते हैं।
हरियाली तीज की पूजा विधि
इस दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने सारे कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लेती है।
उसके बाद साफ-सुथरे कपड़े पहन कर पूजा पाठ के लिए बैठ जाते हैं और अपने व्रत के लिए संकल्प लें .
यह एक निर्जला व्रत है , इसमें महिलाये बिना पानी पिए व्रत रखती हैं
इस दिन बालू से भोलेनाथ और माता पार्वती की मूर्ति बनायीं जाती है तथा साथ ही गणेश जी और माता पार्वती की सखियों की मूर्ति भी बनाने की प्रथा है।
उसके बाद माता को श्रृंगार का सामन अर्पण करके भोलेनाथ और माता पार्वती का आह्वान किया जाता है और उनके साथ गणेश जी की भी पूजा की जाती है। इस दिन माता पार्वती और भोलेनाथ के विवाह की कथा सुनना भी इस पूजा का हिस्सा है | कथा सुनने का विशेष महत्त्व है।
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