Inspirational Story For Success in Hindi

मन में जोश भर देने वाली कहानी | Inspirational story for success | Story By Sadhguru

यदि आप अपने अंदर सफल होने के लिए जोश भरना चाहते हैं तो Story By Sadhguru की यह Inspirational Story for Success आपको ज़रूर पढ़नी चाहिए।

Inspirational Story for success | story by sadhguru
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Inspirational Story for success in Hindi

“आज मेरा काम करने का मन नहीं कर रहा है । कितना अच्छा होता कि मुझे कोई काम ही नहीं करना पड़ता । काश मैं बैठा रहूं और सारी चीजें मेरे पास आ जाए , मुझे सब कुछ मिल जाए ।”

ऐसा विचार हम सब के दिमाग में कभी ना कभी तो आता ही है । पर क्या आपने कभी सोचा है कि जो लोग शरीर से काम करने में असमर्थ होते हैं क्या उनके दिमाग में यह विचार नहीं आता होगा ? निश्चित रूप से आता होगा , लेकिन जीवन जीना है तो काम तो करना ही पड़ेगा । यह बात वे भी अच्छी तरह समझते हैं और असमर्थ होते हुए भी कुछ ना कुछ काम जरूर करते हैं । ताकि उनका जीवन भली-भांति चल सके ।

क्योंकि यह प्रकृति जिसे आप हम हम सब भगवान कहते हैं , किसी भी असमर्थता पर दया नहीं दिखाती । आप चाहे कितनी भी तपस्या और पूजा कर लीजिए, आप को भोजन नहीं मिलेगा । जब तक कि आप भोजन जुटाने के लिए कोई काम ना करें । जब हम काम करेंगे, सही दिशा में मेहनत करेंगे , तभी हम अपने जीवन में सफल हो पाएंगे । इन सब बातों को दर्शाती हुई एक कहानी आपको सुनाती हूं ।

inspirational story for success | story by sadhguru
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Inspirational Story For Success

एक बार एक व्यक्ति था । वह अपने जीवन में काम कर कर के बहुत थक गया था । वह ईश्वर का बहुत बड़ा भक्त था । एक दिन उसे अचानक से इच्छा हुई कि वह सब कुछ छोड़ छाड़ कर ईश्वर की तपस्या करने चला जाए । उसके घर परिवार व रिश्तेदारों ने बहुत मना किया कि वह ऐसा ना करें , उसे खूब समझाया कि अपने घर परिवार व काम में ही सुख है पर वह नहीं माना । वह अपने सब घर परिवार व जिम्मेदारियों को छोड़कर जंगल में तपस्या करने चला गया ।

जब वह जंगल में पहुंचा तो उसने एक-दो दिन तपस्या की , फिर कुछ दिन बाद जब भोजन की खोज में निकला । उसकी नजर एक अपाहिज हिरन पर पड़ी , जिसकी दो टांगे खराब थी । वह चलने फिरने में असमर्थ थी । वह उस हिरण को देख ही रहा था कि अचानक से उसे एक शेर के दहाड़ने की आवाज सुनाई दी। जैसे ही उसने शेर की आवाज सुनी वह डर के मारे एक पेड़ पर चढ़ गया । उसने देखा कि एक शेर उस अपाहिज हिरन के लिए भोजन लेकर आया था ।

वह यह देखकर आश्चर्यचकित हो गया । वह सोचने लगा कि ऐसा कैसे संभव है कि एक शेर एक हिरन के लिए भोजन लेकर आया है । जबकि यह हिरन शेर का भोजन हो सकती थी । यह तो कोई चमत्कार लगता है । लगता है , यह ईश्वर का मेरे लिए कोई अलौकिक संदेश है । शेर के जाने के बाद वह पेड़ से नीचे उतरा और यही सोचता रहा कि ईश्वर मुझसे क्या कहना चाहते हैं ? उसने कई दिन तक इस घटना को होते हुए देखा । रोज शेर आता और हिरण को भोजन दे जाता ।

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अब उसने अपने आप ही अपने मन में यह पूर्व धारणा बना ली , कि हो ना हो ईश्वर उससे कुछ कहना चाहते हैं । कि तू ईश्वर की तपस्या करने में तल्लीन हो जा । तुझे भोजन ढूंढने की जरूरत नहीं है । भोजन खुद-ब-खुद तेरे पास आ जाएगा । अब वह तपस्या करने बैठ गया । उसने तपस्या करते हुए एक दिन बिताया , पर उसे भोजन देने कोई नहीं आया ।उसने सोचा शायद अगले दिन ऐसा हो । परंतु अब उसे तपस्या करते हुए कई दिन हो गए पर कोई नहीं आया । भूख से उसका हाल बेहाल था , शरीर की हड्डियां भी भूख के कारण दिखने लगी थी ।

अब कई दिन बाद एक महात्मा जी वहां से गुजरे । महात्मा जी को देखकर वह बड़ा खुश हुआ । उसे लगा कि महात्मा जी उसके लिए भोजन लाए होंगे । महात्मा जी उसके पास आए और पूछने लगे कि यहां क्या कर रहे हो ? अब उसने महात्मा जी को अपनी सारी व्यथा बताई । वह बोला के महात्मा जी मैं तपस्या कर रहा था, तब मैंने यहां एक शेर देखा , जो उस अपाहिज हिरन के लिए रोज भोजन लाता है ।

क्या यह दैवीय और चमत्कारिक नहीं है ? मुझे ऐसा लगा कि ईश्वर ने मुझे भी यही आदेश दिया है कि मेरे लिए भी भोजन का प्रबंध कोई ना कोई कर ही देगा तो मैं यहां तपस्या करने बैठ गया । आज कई दिन हो गए पर अन्न का एक दाना भी देने कोई नहीं आया ।

तब महात्मा जी बोले कि जो तुमने देखा वह अवश्य ही चमत्कारिक है दैवीय है । पर तुमने उस अपाहिज हिरण की नकल करना ही क्यों चुना ? क्या तुमने एक दयावान शेर को नहीं देखा ? क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम उस शेर की तरह बनना भी चुन सकते थे ?

Inspirational Story For Success से सीख

ईश्वर यकीनन हम सबको एक दैवीय संकेत देते हैं । हमेशा हमारे सामने दो राहें होती हैं । यह हमारे ऊपर है कि हम कौन सी राह चुनते हैं और अपने भविष्य का निर्धारण करते हैं । इतना तो निश्चित है कि यदि हम सफल होना चाहते हैं तो काम तो हमें करना ही पड़ेगा । आराम से बैठ कर हमें कभी भी सफलता नहीं मिलेगी । हमें हमारे भविष्य का चुनाव स्वयं करना है ।

अब देखना यह है कि हम अपाहिज लोमड़ी की नकल करना चुनते हैं या दयावान शेर की । यदि आप रोज कोई बहाना बनाकर तैयार रखते हैं कि आज नहीं कल काम करेंगे तो यकीनन वह कल कभी नहीं आएगा और आपका भविष्य सुखी हड्डियों वाले बंजर शरीर जैसा हो जाएगा । तो सोचिए मत आप अपने भविष्य को वैसे ही संवार सकते हैं , जैसे बड़े-बड़े सफल लोगों ने अपना भविष्य संवारा है ।

आप भी कल के रतन टाटा बन सकते हैं बस आपको चुनाव सही करना है । यदि आप खुद को बड़ा बनते हुए देखना चाहते हैं तो आपको ही कर्म की आग में जलना होगा । क्योंकि हमेशा याद रखिए कि

प्रकृति कभी भी किसी भी प्रकार की असमर्थता पर दया नहीं दिखाती ।

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