sawan somwar vrat katha 2022

सावन सोमवार व्रत इस कथा के बिना रहेगा अधूरा

आज 18 जुलाई को सावन का पहला सोमवार व्रत मनाया जा रहा है | ऐसा माना जाता है कि सावन के सोमवार के व्रत रखने और vrat katha सुनने से व्रत रखने वाले की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं | लेकिन सावन के सोमवार से जुड़ी एक व्रत कथा बहुत प्रसिद्ध है जिसे सुने बिना व्रत अधूरा माना जाता है |  मैं यहाँ उस कथा को प्रस्तुत कर रही हूँ | सुने और अपने व्रत को सफल बनायें | 

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एक समय की बात है , एक साहूकार था | उसके पास धन दौलत की कोई कमी नहीं थी लेकिन उसके कोई संतान नहीं थी |  दोनों पति पत्नी इस बात को लेकर बहुत चिंतित रहते थे कि उनके कोई संतान नहीं थी | साहूकार भगवान् शिव का बहुत बड़ा भक्त था | वह नियमित रूप से भगवान भोलेनाथ की पूजा किया करता था |  उसकी पूजा पाठ से खुश होकर एक दिन माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ से उसे पुत्र प्राप्ति का  को कहा | पहले तो भोलेनाथ नहीं माने पर कई बार कहने पर मान गए | और साहूकार को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया | 

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लेकिन यह भी कहा कि  साहूकार के जो भी संतान होगी उसकी उम्र केवल 12 वर्ष तक ही होगी अर्थात वह केवल १२ वर्ष तक ही जीवित रहेगा | 

कुछ समय के बाद साहूकार के घर एक पुत्र ने जन्म लिया , वह धीरे धीरे बड़ा होने लगा | सब घर मैं खुश रहते थे लेकिन साहूकार हमेशा दुखी रहता था | क्योंकि उसे भगवान् भोलेनाथ की सभी बातें याद थीं | उसे सदैव यही चिंता रहती थी कि जाने कब वो समय आ जायेगा जब उसका पुत्र मर जायेगा | यह बात साहूकार ने अपनी पत्नी से छुपाकर रखी  थी |

उसकी पत्नी ने एक दिन अपने बेटे का बाल विवाह करने का प्रस्ताव साहूकार के सामने रखा लेकिन साहूकार ने यह कहकर बात टाल दी कि पहले बेटे को शिक्षा ग्रहण करने के लिए काशी भेजेंगे | और उसके बाद ही उसका विवाह करेंगे | 

उसने अपने पुत्र को उसके मामा  के साथ काशी भेज दिया | उसे जाते समय यह सलाह भी दी की रास्ते में जो भी यज्ञ और ब्राह्मण मिले , वहां वहां रुकना और ब्राह्मणो को भोजन करवा कर ही आगे बढ़ना | 

यह सलाह सुनकर मामा और भांजा काशी के लिए निकल पड़े | वह रस्ते में ब्राह्मणो को भोजन कराते जा रहे थे | रास्ते में एक राजकुमारी का विवाह हो रहा था | मामा ने देखा की राजकुमारी का विवाह जिस राजकुमार से हो रहा था वह आँख से काना था | इस बात से राजा अनजान था , राजा को जैसे ही पता चला तो राजा ने अपनी बेटी का विवाह साहूकार के पुत्र से करवा दिया | 

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वहां से जाते समय साहूकार के बेटे ने राजकुमारी की चुनरी पर लिख दिया की उसका विवाह उसके साथ हुआ है | उसके जाने के बाद जब राजकुमारी ने अपनी चुनरी पर लिखा देखा तो उसने राजकुमार से अपना विवाह तोड़ दिया | 

काशी पहुंचकर कुछ समय बाद उस लड़के की मृत्यु हो गयी | इस बात से दुखी होकर मामा रोने लगा | तभी वहां से भगवान् भोलेनाथ और माता पार्वती गुजर रहे थे | उन्होंने जब रोने की आवाज सुनी तो माता पार्वती ने उसके बारे मैं पुछा , तब भोलेनाथ ने बताया की यह वही साहूकार का पुत्र है | तब माता पार्वती के फिर से हाथ करने पर उन्होंने साहूकार के पुत्र को फिर से जीवित कर दिया | 

अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद वह लड़का और उसका मामा वापस घर लौट रहे थे , तो वह वापस  उसी जगह रुके जहाँ उसने राजकुमारी से विवाह किया था |  उसके बारे में जानकार राजा बहुत खुश हुआ और उसने राजकुमारी और बहुत सारे धन के साथ उसे विदा किया | 

उसके माता पिता बहुत ही मायूस थे की पता नहीं उनका बेटा वापस लौटेगा या नहीं | परन्तु जब उन्हें अपने बेटे की वापसी की खबर मिली तब उन्होंने बड़े ही हर्ष के साथ उसका स्वागत किया और भगवान् भोलेनाथ को धन्यवाद दिया | 

तब से यही परंपरा है कि जो भी sawan somvar vrat katha एक साथ सुनते है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं | 

इस लेख में दी गयी सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और गूगल से ली गयी जानकारियों पर आधारित हैं | kahanihindime.com इसकी पुष्टि नहीं करता है | 

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