रक्षाबंधन | Indian Festivals

रक्षाबंधन  , एक पवित्र प्रेम का त्योहार

रक्षाबंधन का हिन्दू धर्म में बहुत महत्त्व है। यह श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष 2023 में , यह 30 अगस्त को मनाया जायेगा। रक्षाबंधन यानि राखी का बंधन, भाई बहन के प्यार का प्रतीक केवल भारत देश में ही नहीं , विदेशों में भी बहुत ख़ुशी के साथ मनाया जाता है। रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई को राखी बांधती है और अपने भाई की सलामती के लिए दुआ मांगती है। 

रक्षाबंधन

हर भाई बहन के लिए बहुत ख़ास होता है ये दिन। भाई अपनी कलाई पर बंधी सुन्दर सी राखी को देखकर प्यार और गर्व महसूस करते हैं और बहने अपने तोहफों को देखकर खुश होती हैं। बाजार भी सुंदर – सुंदर राखियों और तोहफों से भर जाते हैं , पर क्या रक्षाबंधन केवल राखी और तोहफों की कहानी है।  नहीं , इसके पीछे एक गहरा प्यार और भाई बहन की एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना छिपी हुई है। 

रक्षाबंधन का महत्त्व और कारण :

इस प्यार और सम्मान का वर्णन करती कुछ ऐतिहासिक कहानियां , जो इस त्योहार का महत्व और कारण बताती हैं , जिन्हे सुनाकर आप अपने बच्चों के लिए इस त्योहार का महत्त्व बढ़ा सकते हैं यहाँ प्रस्तुत हैं :

1. कृष्ण और द्रौपदी का एक पवित्र रिश्ता :

बात उन दिनों की है , जब युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ करवाया और उसमे अनेक बड़े बड़े राजा – महाराजा पधारे। श्रीकृष्ण की बुआ का बेटा जिसका नाम शिशुपाल था , वह भी वहां आया था।  परन्तु भरे दरबार में शिशुपाल ने श्री कृष्णा और भीष्म पितामह और कई बड़े लोगों का अपमान किया।  शिशुपाल को चुप करने की बड़ी कोशिश की गयी पर वह नहीं माना।  क्रोध में आकर श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध कर दिया।  

ऐसा करने में श्रीकृष्ण की ऊँगली में चोट लग गयी। द्रौपदी से यह देखा न गया ,उसने तुरंत ही अपनी साडी का टुकड़ा फाड़कर श्रीकृष्ण की ऊँगली पर बाँध दिया। श्रीकृष्ण ने उसी पल द्रौपदी को वचन दिया कि जब भी द्रौपदी उन्हें पुकारेगी , वे उनकी रक्षा के लिए दौड़े चले आएंगे।

साडी का वो टुकड़ा राखी का प्रतीक बन गया। और जब पांडव द्रौपदी को चौपड़  के खेल में हार गए थे।  तब कौरवों द्वारा द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था , उसी समय द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को याद किया और वे द्रौपदी की मदद के लिए दौड़े चले आये। श्रीकृष्ण ने उसकी साड़ी की इतना लम्बा कर दिया की वो खुल ही नहीं पायी।  श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई। 

2. हुमायूँ और रानी कर्णावती की कहानी :

यह घटना भारत के इतिहास में दर्ज एक सच्ची कहानी है।  यह कहानी रक्षाबंधन की अहमियत बताने के साथ-साथ यह भी बताती है कि  यह त्यौहार खून के रिश्तो तक ही सीमित नहीं है।  रक्षाबंधन का त्योहार हिंदू मुस्लिम की दीवार तोड़ कर सच्चे प्रेम और  कसमों  को निभाने का चित्रण करता है। 

यह कहानी उस समय की है, जब मुग़ल दिल्ली पर शासन कर रहे थे।  और उधर राजस्थान में राणा सांगा की विधवा पत्नी  रानी कर्णावती राज्य संभाल रही थी।  उनका उत्तराधिकारी राणा विक्रमादित्य शासन संभालने के लिए उम्र में बहुत कम था।  इसलिए दूसरे राजाओं की नजर कर्णावती के सिंहासन पर थी।  तभी गुजरात के शासक बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया। 

 रानी कर्णावती जानती थी कि उनकी सेना बहादुर शाह का सामना नहीं कर पाएगी।  वह उसे केवल मुगलों की सहायता से ही उसे हरा पाएगी।  इसी उम्मीद के साथ रानी कर्णावती ने बादशाह हुमायूं को पत्र  के साथ राखी भेज कर सहायता मांगी। 

 हुमायूं उस समय दूसरी लड़ाई में व्यस्त था , परंतु उसने रानी कर्णावती की  राखी का मान रख कर उन्हें अपनी बहन स्वीकार किया और उनकी मदद के लिए चल दिया।  परंतु अफसोस की बात यह थी कि बहादुर शाह हुमायूं के पहुंचने से पहले ही चित्तोड़  में प्रवेश कर चुका था।  

 रानी कर्णावती ने अपने सम्मान की रक्षा के लिए कई अन्य स्त्रियों के साथ जौहर कर लिया।  हुमायूं ने बहुत प्रयास किया परंतु वह अपनी बहन को नहीं बचा सका।  लेकिन राखी का धर्म निभाते हुए हुमायूं ने बहादुर शाह से युद्ध करके चित्तौड़ उससे छीन लिया और रानी कर्णावती के पुत्र सौंप दिया। 

  हुमायूं  अपनी बहन की जान नहीं बचा पाया लेकिन उसने एक भाई का धर्म भली-भांति निभाया। 

 यह कहानियां रक्षाबंधन के मजबूत बंधन को दर्शाते हैं।  जो किसी खून के रिश्ते का मोहताज नहीं है रिश्ता अगर दिल से निभाया जाए तो कोई रुकावट उसे तोड़ नहीं सकती। 

ये त्योहार कितना पवित्र है यह  इन कहानियों से पता चलता  है।    एक राखी के लिए पुराने समय में भाई अपनी जान तक  दांव पर  लगा दिया करते थे ,  परंतु आधुनिक समय में यह त्यौहार केवल राखी और तोहफों  तक ही सीमित रह गया है।  हमारे त्योहार मनाने के मूल्य बदलते जा रहे हैं।  हमें जरूरत है कि हम अपने बच्चों को पुराने समय की यह ऐतिहासिक कहानियां सुनाकर अपने मूल्यवान त्योहारों की सार्थकता को वापस लेकर आएं।  और अपने बच्चों  को  रक्षाबंधन की अहमियत समझाएं। 

 आशा करती हूं कि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी होगी और अपने बच्चों या आपके परिवार के छोटे बच्चों को यह ऐतिहासिक और पौराणिक कहानियां सुनाकर उनके इस रक्षाबंधन के त्यौहार को उनकी भावनाओं को एक खास एहसास देंगे। अगर आपको मेरी  यह पोस्ट अच्छी लगी  हो  तो कमेंट करके जरूर बताएं  ऐसा करने से मेरा मनोबल बढ़ता है। 

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 मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। 

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